Sunday, May 16, 2021

एनसीईआरटी 12th pol.science book notes

 पाठ 1:- राष्ट्र निर्ााण की चुिोनिया

स्र्रणीय बिन्दु:-* 14 - 15 अगस्त 1947 मेंमध्य रात्रि को ह दिं ुस्तान आजाद ुआ और प लेPM (ने रु जी) नेइस रात एक प्रससद्ध भाषण हदया "भाग्य वधुसेचिर - प्रतीक्षित भेंट" 

या "हिस्ट ववद डेस्स्टनी" केनाम सेजाना जाता ैआजादी केसमय दो बातों पर सबकी स मतत थी.

i) लोकतिंि शासन िलाया जाएगा ii) सरकार सबके भलेकेसलए काम करेंगे

*1947 का साल ब ुत ह िंसा और दखु सेभरा साल था

* लगभग 200 वषषकी अिंग्रेजों की गुलामी के बाद 14-15 अगस्त सन 1947 की मध्यरात्रि को ह न्दस्ुतान आजाद ुआ। लेककन इस आजादी के साथ देश की जनता को देश केववभाजन का

सामना पडा। सिंववधान सभा केववशेष सि मेंप्रथम प्रधानमिंिी जवा र लाल ने रू ने'भाग्यवधुसेचिर-प्रतीक्षित भेंट या 'हिस्ट ववद् डेस्स्टनी' केनाम सेभाषण हदया।

* आजादी की लडाई केसमय दो बातों पर सबकी स मतत थी।

1) आजादी के बाद देश का शासन लोकतािंत्रिक पद्धतत सेिलाया जायेगा।

2) सरकार समाज केसभी वगों केसलए कायषकरेगी।

* िए राष्ट्र की चुिौनियााँ:- मुख्य तौर पर भारत के सामनेतीन तर की िुनौततयों थी।

1. एकिा एवंअखडिा की चुिौिी :-भारत अपनेआकार और ववववधता मेंककसी म ादेश के बरावर था। य ााँववसभन्न भाषा, सिंस्कृतत और धमों केअनुयायी र तेथे, इन सभी को

एकजुट करनेकी िुनौती थी।

2. लोकिंत्र की स्थापिा -भारत नेसिंसदीय शासन पर आधाररत प्रतततनचधत्वमूलक लोकतिंि को अपनाया ै। और भारतीय सिंववधान मेंप्रत्येक नागररक को मौसलक अचधकार तथा

मतदान का अचधकार हदया गया ै।

3. सर्ाििा पर आधाररि ववकास:-ऐसा ववकास स्जससेसम्पूणषसमाज का कल्याण ो, न कक ककसी एक वगषका अथाषत सभी के साथ समानता का व्यव ार ककया जाए और

सामास्जकरूप सेविंचित वगों तथा धासमषक सािंस्कृततक अल्पसिंख्यक समुदायों को ववशेष सुरिा दी जाए।

ववभाजि :-मुस्स्लम लीग ने'द्वव-राष्ट्ि ससद्धािंत' को अपनानेकेसलए तकष हदया कक भारत ककसी एक कौम का न ीिं, अवपतु'ह न्दुऔर मुसलमान' नाम की दो कौमों का देश ै। और इसी

कारण मुस्स्लम लीग नेमुसलमानों केसलए एक अलग देश यानी पाककस्तान की मािंग की।- भारत केववभाजन का आधार धासमषक ब ुसिंख्या को बनाया गया। स्जसकेकारण कई प्रकार की

समस्याएिंउत्पन्न ुई स्जनका वववरण तनम्नसलखखत ै।

क) मुसलमानों की जनसिंख्या केआधार पर पाककस्तान मेंदो इलाके शासमल ोगेपस्चिमी पाककस्तान और पूवी पाककस्तान और इनकेमध्य मेंभारतीय भ-ूभाग का बडा ववस्तार र ेगा।

ख) मुस्स्लम ब ुल प्रत्येक इलाका पाककस्तान मेंजानेको राजी न ीिंथा। पस्चिमोत्तर सीमाप्रािंत केनेता खान-अब्दलु गफ्फार खााँस्जन् ें'सीमािंत गािंधी' केनाम सेजाना जाता ै, व 'द्वव-

राष्ट्ि ससद्धािंत' के एकदम खखलाफ थे।

ग) 'त्रिहटश इिंडडया' केमुस्स्लम-ब ुल प्रान्त पिंजाब और बिंगाल मेंअनेक ह स्सेब ुसिंख्यक गैर-मुस्स्लम आबादी वालेथे। ऐसेमेंइन प्रान्तों का बैटवारा धासमषक ब ुसिंख्या केआधार पर

स्जलेया उससेतनिलेस्तर केप्रशासतनक लकेको आधार बनाकर ककया गया

घ) भारत ववभाजन के वल धमषकेआधार पर ुआ था। इससलए दोनों ओर केअल्पसिंख्यक वगषबडेअसमिंजस मेंथे, कक उनका क्या ोगा। व कल सेपाककस्तान केनागररक ोगेंया भारत

के ।

ड) ववभाजन की समस्या :- भारत-ववभाजन की योजना मेंय न ीिंक ा गया कक दोनों भागों सेअल्पसिंख्यकों का ववस्थापन भी ोगा। ववभाजन सेप ले ी दोनों देशों के बाँटनेवालेइलाकों

मेंह न्द-ुमुस्स्लम दिंगेभडक उठे । पस्चिमी पिंजाब मेंर नेवालेअल्पसिंख्यक गैर मुस्स्लम लोगों को अपना घर-बार, जमीन-जायदाद छोडकर अपनी जान बिानेकेसलए व ााँसेपूवी पिंजाब

या भारत आनापडा। और इसी प्रकार मुसलमानों को पाककस्तान जाना पडा।

ि) ववभाजन की प्रकिया मेंभारत की भूसम का ी बाँटवारा न ीिं ुआ बस्ल्क भारत की सम्पदा का भी बैंटवारा ुआ।

छ) आजादी एविंववभाजन केकारण भारत को ववरासत केरूप मेंशरणाचथषयों केपुनषवास की समस्या समली। लोगों के पुनवाषस को बडे ी सिंयम ढिंग सेव्याव ाररक रूप प्रदान ककया।

शरणाचथषयों केपुनवाषस केसलए सवषप्रथम एक पुनवाषस मिंिालय बनाया गया।

राज्यों का गठि* रजवाडो का ववलय- स्वतिंिता प्रास्तत सेप लेभारत दो भागों मेंबाँटा ुआ था- त्रिहटश भारत एविंदेशी ररयासत। इन देशी ररयासतों की सिंख्या लगभग 565 थी

* ररयासतों के शासकों को मनाने-समझानेमेंसरदार पटेल (ग ृ मिंिी) नेऐतत ाससक भूसमका तनभाई और अचधकतर रजवाडो को उन् ोंनेभारतीय सिंघ मेंशासमल ोनेकेसलए राजी ककया

था।

* देशी ररयासतों केबारेमेंतीन अ म बातें:

1) अचधकतर रजवाडो के लोग भारतीय सिंघ मेंशासमल ोना िा तेथे।

2) भारत सरकार कुछ इलाकों को स्वायत्तता देनेकेसलए तैयार थी जैसे-जम्मूकचमीर।

3) ववभाजन की पष्ट्ृठभूसम मेंववसभन्न इलाकों केसीमािंकन के सवाल पर खीिंितान जोर पकड र ी थी और ऐसेमेंदेश की िेिीय एकता और अखण्डता का प्रचन सबसेम त्वपूणष ो गया

था। अचधकतर रजवाडों के शासकों नेभारतीय सिंघ मेंअपनेववलय केएक स मतत पि पर स्तािर कर हदयेयेइस स मतत पि को 'इिंस््मेंट ऑफ एक्सेशन' क ा जाता ै।

• जूनागढ़, ैदराबाद, कचमीर और मखणपुर की ररयासतों का ववलय बाकी ररयासतों की तुलना मेंथोडा कहठन सात्रबत ुआ।

* 1) हैदरािाद का ववलय :- ैदराबाद केशासक को 'तनजाम' क ा जाता था। उन् ोंनेभारत सरकार के साथ नविंबर 1947 मेंएक साल केसलए यथास्स्थतत व ाल र नेका समझौता

ककया। कम्युतनस्ट पाटी और ैदराबाद कािंग्रेस केनेतत्ृव मेंककसानों और मह लाओिंनेतनजाम केखखलाफ आिंदोलन शुरू ककया। इस आिंदोलन को कुिलनेकेसलए तनजाम नेएक अद्षध-

सैतनकवल (रजाकार) को लगाया। इसकेजबाव मेंभारत सरकार नेससतिंबर 1948 को सैतनक कायषवा ी केद्वारा तनजाम को आत्मसमपषण करनेकेसलए मजबूर ककया इस प्रकार ैदराबाद

ररयासत का भारतीय सिंघ मेंववलय ुआ।

* 2) र्णणपुर ररयासि का ववलय :- मखणपुर की आिंतररक स्वायत्तता बनी र े, इसको लेकर म ाराजा बोधििंद्र ससिं व भारत सरकार केबीि ववलय के स मतत पि पर स्तािर ुए।

जनता केदबाव मेंतनवाषिन करवाया गया इस तनवाषिन केफलस्वरूप सिंवैधातनक राजतिंि कायम ुआ।मखणपुर भारत का प ला भाग ैज ााँसावषभौसमक वयस्क मताचधकार केससद्धािंत

को अपनाकर जून 1948 मेंिुनाव ुए।

राज्यों का पुिगाठि :-औपतनवेसशक शासन केसमय प्रािंतो का गठन प्रशासतनक सुववधा केअनुसार ककया गया था, लेककन स्वतिंि भारत मेंभाषाई और सािंस्कृततक ब ुलता केआधार

पर राज्यों केगठन की मााँग ुई। भाषा केआधार पर प्रािंतो केगठन का राजनीततक मुद्दा कािंग्रेस केनागपुर अचधवेशन (1920) मेंप ली बार शासमल ककया गया था।तेलगुभाषी, लोगों ने

मािंग की कक मद्रास प्रािंत केतेलुगुभाषी इलाकों को अलग करके एक नया राज्य आिंध्र प्रदेश बनाया जाए। आिंदोलन केदौरान कािंग्रेस केएक वररष्ट्ठ नेता पो्टी श्री रामुलूकी लगभग 56 

हदनों की भूख- डताल केबाद मत्ृयु ो गई। इसकेकारण सरकार को हदसम्बर 1952 मेंआिंध्र प्रदेश नाम सेअलग राज्य बनानेकी घोषणा करनी पडी। इस प्रकार आिंध्रप्रदेश भाषा के

आधार पर गहठत प ला राज्य बना।

* राज्य पुिगाठि आयोग (SRC):-1953 मेंके न्द्र सरकार नेउच्ितम न्यायालय के भूतपूवषन्यायाधीश फजल अली की अध्यिता मेंतीन सदस्यीय राज्य पुनगषठन आयोग का गठन

ककया। आयोग की प्रमुख ससफाररशे।

1) त्रिस्तरीय (भाग AeBeC) राज्य प्रणाली को समातत ककया जाए।

2) के वल 3 के न्द्रशाससत िेिों (अिंडमान और तनकोबार, हदल्ली, मखणपुर) को छोडकर बाकी केके न्द्रशाससत िेिों को उनकेनजदीकी राज्यों मेंसमला हदया जाए।

3) राज्यों की सीमा का तनधाषरण व ााँपर बोली जानेवाली भाषा ोनी िाह ए।

इस आयोग नेअपनी ररपोटष1955 मेंप्रस्तुत की तथा इसकेआधार पर सिंसद मेंराज्य पुनगषठन अचधतनयम 1956 पाररत ककया गया और देश को 14 राज्यों एविं6 सिंघ शाससत िेिों में

बााँटा गया।

र्ूल राज्य. िए राज्य ििेवर्ा

1. बम्बई. म ाराष्ट्ि, गुजरात 1960

2. असम. नागालैंड. 1963

3. व ृ त्तर पिंजाब. ररयाणा, पिंजाब. 1966, ह मािल प्रदेश. 1966

4. असम. मेघालय, मखणपुर, त्रिपुरा 1972

5. असम. समजोरम

12th के चैप्टर कड़बक का सारे प्रश्नों के उत्तर , B.S.E.B. 12th के कड़बक चैप्टर के सारे प्रश्नों के उत्तर.

 कडबक B.S.E.B. 12th के हिन्दी के ANSWER  बिहार बोर्ड के हिंदी का question answer

1. उत्तर-कवि नेअपनी एक आँख की तुलना दपपण सेइसललए की हैक्योंकक दपपण स्िच्छ ि ननर्पल होता है, उसर्ेंर्नुष्य की िैसी ही प्रनतछाया

ददखती हैजैसा िह िास्ति र्ेंहोता है। कवि स्ियंको दपपण के सर्ान स्िच्छ ि ननर्पल भािों सेओत-प्रोत र्ानता है। उसकेहृदय र्ेंजरा-सा

भी कृत्रिर्ता नहीं है। उसके इन ननर्पल भािों के कारण ही बडे-बडेरूपिान लोग उसके चरण पकडकर लालसा के साथ उसके र्ुख की ओर

ननहारतेहैं।

2. उत्तर-अपनी कविताओंर्ेंकवि जायसी नेकलंक, काँच और कं चन आदद शब्दों का प्रयोग ककया है। इन शब्दों की कविता र्ेंअपनी अलग￾अलग विशेषताएँहैं। कवि नेइन शब्दों केर्ाध्यर् सेअपनेविचारों को अलभव्यक्क्त देनेका कायपककया है। कलन्क का अथप कोइला, कान्च 

का अथप कच्चा धातुएिर् कन्चन क अथप सोना से है।

3. उत्तर-र्हाकवि र्ललक र्ुहम्र्द जायसी अपनी कुरूपता और एक आँख सेअंधेहोनेपर शोक प्रकट नहींकरतेहैंबक्कक आत्र्विश्िास केसाथ

अपनी काव्य प्रनतभा केबल पर लोकदहत की बातेंकरतेहैं। प्राकृनतक प्रतीकों द्िारा जीिन र्ेंगुण की र्हत्ता की विशेषताओंका िणपन करते

हैं।

क्जस प्रकार चन्रर्ा कालेधब्बेकेकारण कलंककत तो हो गया ककन्तुअपनी प्रभायुक्त आभा सेसारेजग को आलोककत करता है।

अत: उसका दोष गुण केआगेओझल हो जाता है।

क्जस प्रकार त्रबना आम्र र्ेंर्ंजररयों या डाभ केनहींआनेपर सुबास नहींपैदा होता है, चाहेसागर का खारापन उसकेगुणहीनता का

द्योतक है। सुर्ेरू-पिपत की यश गाथा भी लशि-त्रिशूल के स्पशपत्रबना ननरथपक है। घररया र्ेंतपाए त्रबना सोना र्ेंननखार नहींआता हैठीक

उसी प्रकार कवि का जीिन भी नेिहीनता के कारण दोष-भाि उत्पन्न तो करता हैककन्तुउसकी काव्य-प्रनतभा के आगेसबकुछ गौण पड

जाता है।

कहनेका तात्पयपयह हैकक कवि का नेि नक्षिों केबीच चर्कतेशुक्र तारा की तरह है। क्जसकेकाव्य का श्रिण कर सभी जन र्ोदहत हो जाते

हैं। क्जस प्रकार अथाह गहराई और असीर् आकार केकारण सर्ुर की र्हत्ता है। चन्रर्ा अपनी प्रभायुक्त आभा केललए सुखदायी है। सुर्ेरू

पिपत लशि-त्रिशूल द्िारा आहत होकर स्िणपर्यी रूप को ग्रहण कर ललया है। आर् भी डाभ का रूप पाकर सुिालसत और सर्धुर हो गया है।

घररया र्ेंतपकर कच्चा सोना भी चर्कतेसोनेका रूप पा ललया है।

क्जस प्रकार दपपण ननर्पल और स्िच्छ होता है-जैसी क्जसकी छवि होती है-िैसा ही प्रनतत्रबम्ब दृक्ष्टगत होता है। ठीक उसी प्रकार

कवि का व्यक्क्तत्ि है। कवि का हृदय स्िच्छ और ननर्पल है। उसकी कुरूपता और एक आँख के अंधेपन सेकोई प्रभाि नहींपडनेिाला। िह

अपनेलोक र्ंगलकारी काव्य-सजृ नकार सारेजग को र्ंगलर्य बना ददया है। इसी कारण रूपिान भी उसकी प्रशंसा करतेहैंऔर शीश निाते

हैं। उपरोक्त प्रतीकों केर्ाध्यर् सेकवि नेअपनेआत्र्विश्िास का सटीकर चचिण अपनी कविताओंकेद्िारा ककया है।

4. उत्तर-कवि र्ललक र्ुहम्र्द जायसी नेअपनी स्र्नृत के रक्षाथपजो इच्छा प्रकट की है, उसका िणपन अपनी कविताओंर्ेंककया है।कवि का

कहना हैकक र्ैंनेजान-बूझकर संगीतर्य काव्य की रचना की हैताकक इस प्रबंध केरूप र्ेंसंसार र्ेंर्ेरी स्र्नृत बरकरार रहे। इस काव्य-कृनत

र्ेंिर्णपत प्रगाढ़ प्रेर् सिपथा नयनों की अश्रुधारा सेलसंचचत हैयानन कदठन विरह प्रधान काव्य है।दसू रेशब्दों र्ेंजायसी नेउस कारण का

उकलेख ककया हैक्जससेप्रेररत होकर उन्होंनेलौककक कथा का आध्याक्त्र्क विरह और कठोर सूफी साधना केलसद्धान्तों सेपररपुष्ट ककया

है। इसका , कारण उनकी लोकै षणा है। उनकी हाददपक इच्छा हैकक संसार र्ेंउनकी र्त्ृयुके बाद उनकी कीत्ती नष्ट न हो। अगर िह के िल

लौककक कथा-र्ाि ललखतेतो उससेउनकी कानतपचचर स्थायी नहीं होती। अपनी कीनतपचचर स्थायी करनेके ललए ही उन्होंनेपद्र्ािती की

लौककक कथा को सूफी साधना का आध्याक्त्र्क पष्ृठभूलर् पर प्रनतक्ष्ठत ककया है। लोकै षणा भी र्नुष्य की सबसेप्रर्ुख िवृत्त है।

5. उत्तर प्रस्ततु पंक्क्तयाँकडबक (1) सेउद्धतृ की गयी है। इस कविता के रचनयता र्ललक र्ुहम्र्द जायसी हैं। इन पंक्क्तयों केद्िारा कवि ने

अपनेविचारों को प्रकट करनेका कार् ककया है। क्जस प्रकार आर् र्ेंनुकीली डाभे(कोयली) नहींननकलती तबतक उसर्ेंसुगंध नहींआता

यानन आर् र्ेंसुगन्ध आनेकेललए डाभ युक्त र्ंजररयों का ननकलना जरूरी है। डाभ केकारण आर् की खुशबूबढ़ जाती है, ठीक उसी प्रकार

गुण केबल पर व्यक्क्त सर्ाज र्ेंआदर पानेका हकदार बन जाता है। उसकी गुणित्ता उसके व्यक्क्तत्ि र्ेंननखार ला देती है।

6. उत्तर-कवििर जायसी कहतेहैंकक कवि र्ुहम्र्द नेअथापत्र्ैंनेयह काव्य रचकर सुनाया है। इस काव्य को क्जसनेभी सुना हैउसी को प्रेर् की

पीडा का अनुभि हुआ है। र्ैंनेइस कथा को रक्त रूपी लेई के द्िारा जोडा हैऔर इसकी गाढ़ी प्रीनत को आँसुओंसेलभगोया है। यही सोचकर

र्ैंनेइस ग्रन्थ का ननर्ापण ककया हैकक जगत र्ेंकदाचचत, र्ेरी यही ननशानी शेष बची रह जाएगी।

7. उत्तर-‘र्ुहम्र्द यदह कत्रब जोरर सुनािा’ र्ें‘जोरर’ शब्द का प्रयोग कवि ने‘रचकर’ अथपर्ेंककया हैअथापत्र्ैंनेयह काव्य रचकर सुनाया है।

कवि यह कहकर इस तथ्य को उजागर करना चाहता हैकक र्ैंनेरत्नसेन, पद्र्ािती आदद क्जन पािों को लेकर अपनेग्रन्थ की रचना की है, 

उनका िास्ति र्ेंकोई अक्स्तत्ि नहींथा, अवपतुउनकी कहानी र्ाि प्रचललत रही है।

8. उत्तर-दसू रेकडबक र्ेंकवि नेइस तथ्य को उजागर ककया हैकक उसनेरत्नसेन, पद्र्ािती आदद क्जन पािों को लेकर अपनेग्रन्थ की रचना

की हैउनका िास्ति र्ेंकोई अक्स्तत्ि नहींथा, अवपतुउनकी कहानी र्ाि प्रचललत रही है। परन्तुइस काव्य को क्जसनेभी सुना हैउसी को

प्रेर् की पीडा का अनुभि हुआ है। कवि नेइस कथा को रक्त-रूपी लेई केद्िारा जोडा हैऔर इसकी गाढ़ी प्रीनत को आँसुओंसेलभगोया है। कवि

नेइस काव्य की रचना इसललए की क्योंकक जगत र्ेंउसकी यही ननशानी शेष बची रह जाएगी। कवि यह चाहता हैकक इस कथा को पढ़कर

उसेभी याद कर ललया जाए।

9. उत्तर-प्रस्तुत पंक्क्तयाँजायसी ललर्खत कडबक केद्वितीय भाग सेउद्धत की गयी है। उपरोक्त पंक्क्तयों र्ेंकवि का कहना हैकक क्जस प्रकार

पुष्प अपनेनश्िर शरीर का त्याग कर देता हैककन्तुउसकी सुगक्न्धत धरती पर पररव्याप्त रहती है, ठीक उसी प्रकार र्हान व्यक्क्त भी इस

धार् पर अितररत होकर अपनी कीनतपपताका सदा केललए इस भिन र्ेंफहरा जातेहैं। पुष्प सुगन्ध सदृश्य यशस्िी लोगों की भी कीनतपयाँ

विनष्ट नहींहोती। बक्कक युग-युगान्तर उनकी लोक दहतकारी भािनाएँजन-जन केकं ठ र्ेंविराजर्ान रहती है।

कड़बक भाषा की बात

1. ननम्नललर्खत शब्दों के तीन-तीन पयापयिाची शब्द ललखें

✓ नैन आँख, नेि, चक्षु, दृक्ष्ट, लोचन, र्खया, अक्षक्ष।

✓ आम रसाल, अंब, आंब, आम्र।

✓ चन्द्रमा शलश, चाँद, अंशुर्ान, चन्दा, चंदर, चंद।।

✓ रक्त खून, रूचधर, लहू, लोदहत, शोवषत।

✓ राजा नरेश, नपृ , नपृ नत, प्रजापनत, बादशाह, भूपनत, भूप।

✓ फूल सुगर्, सुकुर्, पुष्प, गुल।

2. उत्तर-पहलेकडबक र्ेंकवि नेचाँद, सूक, अम्ब, सर्ुर, सुर्ेरू, घरी, दपपण आदद उपर्ानों का प्रयोग अपनेललए ककए हैं।

3. ननम्नललर्खत शब्दों केर्ानक रूप ललखें

✓ शब्द – र्ानक रूप शब्द – र्ानक रूप शब्द – र्ानक रूप

❖ दरपन – दपपण ननरर्ल – ननर्पल प्रेर् – पेर्

❖ पानन – पानी नखत – नख रकत – रक्त

❖ कीरनत – कीनतप

4. उत्तर-जायसी केदोनों कडबकों र्ेंशांत रस का प्रयोग हुआ है। दोनों कडबकों र्ेंर्ाधुयपगुण है।

5. उत्तर-संज्ञा पद-नयन, कवि, र्ुहम्र्द, चाँद, जंग, विचध, अितार, सूक, नख, अम्ब, डाभ, . सुगंध, सर्ुर, पानी, सुर्ेरु, नतरसूल, 

कं चन, चगरर, आकाश, धरी, काँच, कं चन, दरपन, पाउ, र्ुख।

6. उत्तर-यह, सो, अस, यह, र्कु, सो, कहाँ, अब, अस, कँ ह, जेई, कोई, जस, कई, जरा, जो।

एनसीईआरटी 12th pol.science book notes

 पाठ 1:- राष्ट्र निर्ााण की चुिोनिया स्र्रणीय बिन्दु:-* 14 - 15 अगस्त 1947 मेंमध्य रात्रि को ह दिं ुस्तान आजाद ुआ और प लेPM (ने रु जी) नेइस ...